Sunday, August 16, 2009

Aisi Ankhein Nahi Dekhi

ऐसी आँखें नहीं देखी
ऐसी आँखें नहीं देखी

ऐसा काजल नहीं देखा
ऐसा जलवा नहीं देखा
ऐसा चेहरा नहीं देखा
जब यह दामन की हवा दे
आग जंगल में लगा दे
जब यह सहराओं में जाए
रेत में फूल खिलाये
ऐसी दुनिया नहीं देखी
ऐसा मंज़र नही देखी
ऐसा आलम नही देखा
ऐसा दिलबर नहीं देखा
उसके कंगन का खनकना
जैसे बुलबुल का चहकना
उसके पाजेब की छम छम
जैसे बरसात का मौसम

ऐसा सावन नहीं देखा
ऐसी बारिश नहीं देखी
ऐसी रिमझिम नहीं देखी
ऐसी ख्वाहिश नहीं देखी
उसकी बेबाद सी बातें
जैसे सर्दी की हो रातें
उफ़ ये तनहाई ये मस्ती
जैसे तूफ़ान में कश्ती
मीठी कोयल सी है बोली
जैसे गीतों की रंगोली
सुर्ख गालों पे पसीना
जैसे फागुन का महीना
ऐसी आंखें नहीं देखी
ऐसा काजल नहीं देखा
ऐसा जलवा नहीं देखा
ऐसा चेहरा नहीं देखा.........

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