प्यार है या सजा, ए दिल बता
टूटता क्यों नहीं दर्द का सिलसिला
इस प्यार मैं हों कैसे कैसे इम्तिहान
ये प्यार लिखे कैसी कैसी दास्ताँ
या रब्बा दे दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो या रब्बा दे दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
प्यार है या सजा, ए मेरे दिल बता
टूटता क्यों नहीं दर्द का सिलसिला
कैसा है सफ़र वफ़ा की मंजिल का
ना है कोई हल दिलों की मुश्किल का
धड़कन धड़कन बिखरी रंजिशें
साँसे साँसे टूटी बंदिशें
कही तो हर लम्हा होंठों पे फरियाद है
किसी की दुनिया चाहत मैं बरबाद है
या रब्बा दे दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो या रब्बा दे दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
कोई ना सुने सिसकती आँहों को
कोई ना धरे तड़पती बाहों को
आधी आधी पूरी ख्वाहिशेँ
टूटी फूटी सब फर्माइंशेँ
कहीं शक हैं कहीं नफरत की दीवार है
कहीं जीत में भी शामिल पलपल हार हैं
या रब्बा दे दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो या रब्बा दे दे कोई जान भी अगर
दिलबर पे हो ना, दिलबर पे हो ना कोई असर
हो ओ ओ sss प्यार है या सजा, ए मेरे दिल बता
टूटता क्यों नहीं दर्द का सिलसिला
हो ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ
ना पूछो दर्द बन्दों से
हंसी कैसी ख़ुशी कैसी
मुसीबत सर पे रहती हैं
कभी कैसी कभी कैसी
हो ओ ओ ओ... रब्बा, रब्बा हो ओ ओ हो
रब्बा हो ओ ओ, हो ओ हो रब्बा ........
Sunday, August 16, 2009
Ya Rabba- Kailash Kher
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment