Thursday, August 13, 2009

Saiyyan- Kailash Kher

हीरे मोती मैं ना चाहूँ
मैं तो चाहूँ संगम तेरा
मैं तो तेरी
तू है मेरा .... सैय्याँ ... सैय्याँ



तू जो छू ले प्यार से
आराम से मर जाऊँ

आजा चंदा बाहों में
तुझ में ही गुम हो जाऊँ
सैय्याँ ... सैय्याँ

मेरे दिन खुशी से झूमे गाये रातें

पल पल मुझे डुबायें जाते जाते

तुझे जीत जीत हारूँ

ये प्राण प्राण वारूँ

हाय ऐसे मैं निहारूं

तेरी आरती उतारूं

तेरे नाम से जुड़े हैं सारे नाते

सैय्याँ ... सैय्याँ

बनके माला प्रेम की

तेरे तन पे झर झर जाऊँ

बैठूँ नैय्या प्रीत की

संसार से थर जाऊँ

तेरे प्यार से थर जाऊं

सैय्याँ ... सैय्याँ

ये नरम नरम नशा है... बढ़ता जाए

कोई प्यार से घुंघटिया देता उठाय

अब बावरा हुआ मन

जग हो गया है रोशन

हो गयी है तेरी जोगन

कोई प्रेम की पुजारन मन्दिर सजाय

सैय्याँ ... सैय्याँ

हीरे मोती मैं ना चाहूँ

मैं तो चाहूँ संगम तेरा

मैं ना जानूं , तू ही जाने

मैं तो तेरी , तू है मेरा

मैं ना जानूं , तू ही जाने
मैं तो तेरी , तू है मेरा


मैं तो तेरी , तू है मेरा ..

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